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सोमवार, 27 जून 2011

मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में ( 3 )





" ये है बाम्बे मेरी जान " 

(यह है शिव पार्वती) 


मै अपनी कुछ सहेलियों के साथ एलिफेंटा केव्ज़ आई हूँ --गेट वे आफ इंडिया से फेरी द्वारा हम एलिफेंटा पहुंचे ...अब आगे ...

 मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में भाग ( 2 )पढने के लिए यहाँ क्लिक करे 



( फेरी से निकलती भीड़ )


हम सब चल दिए --सीडियों की तरफ --ऊपर जाने के लिए काफी सीडियां थी --सीडियों के दोनों तरफ 
दुकाने सजी हुई थी --सीपियो की कलात्मक चीजे,शंक ,कोड़ियांऔर सजावटी सामान से दुकाने भरी पड़ी थी --  

( पीछे से सीडियों का द्रश्य )



(आगे का रास्ता )


( कलात्मक चीजे और पत्थर की मालाए )


( सुंदर सजावटी हाथी )




(इनका भी बोल बाला था यहाँ )


( यहाँ हमने १० रु. का टिकिट खरीदा )


यहाँ विदेशियों को २५० रु. का टिकिट लगता है --यहाँ काफी मात्रा में विदेशी पर्यटक दिखाई दे रहे थे !




इतिहास :--



एलिफेण्टा भारत में मुम्बई के गेट वे आफ इण्डिया से लगभग १२ किलोमीटर दूर स्थित एक स्थल है जो अपनी कलात्मक गुफ़ाओं के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ कुल सात गुफाएँ हैं। मुख्य गुफा में २६ स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। पहाड़ियों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। इसका ऐतिहासिक नाम घारपुरी है। यह नाम मूल नाम अग्रहारपुरी से निकला हुआ है। एलिफेंटा नाम पुर्तगालियों द्वारा यहाँ पर बने पत्थर के हाथी के कारण दिया गया था। यहाँ हिन्दू धर्म के अनेक देवी देवताओं कि मूर्तियाँ हैं। ये मंदिर पहाड़ियों को काटकर बनाये गए हैं। यहाँ भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ हैं जो शंकर जी के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दिखाती हैं। इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। यह मूर्ति २३ या २४ फीट लम्बी तथा १७ फीट ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शंकर के तीन रूपों का चित्रण किया गया है। इस मूर्ति में शंकर भगवान के मुख पर अपूर्व गम्भीरता दिखती है।
दूसरी मूर्ति शिव के पंचमुखी परमेश्वर रूप की है जिसमें शांति तथा सौम्यता का राज्य है। एक अन्य मूर्ति शंकर जी के अर्धनारीश्वर रूप की है जिसमें दर्शन तथा कला का सुन्दर समन्वय किया गया है। इस प्रतिमा में पुरुष तथा प्रकृति की दो महान शक्तियों को मिला दिया गया है। इसमें शंकर तनकर खड़े दिखाये गये हैं तथा उनका हाथ अभय मुद्रा में दिखाया गया है। उनकी जटा से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिधारा बहती हुई चित्रित की गई है। एक मूर्ति सदाशिव की चौमुखी में गोलाकार है। यहाँ पर शिव के भैरव रूप का भी सुन्दर चित्रण किया गया है तथा तांडव नृत्य की मुद्रा में भी शिव भगवान को दिखाया गया है। इस दृश्य में गति एवं अभिनय है। इसी कारण अनेक लोगों के विचार से एलिफेण्टा की मूर्तियाँ सबसे अच्छी तथा विशिष्ट मानी गई हैं। यहाँ पर शिव एवं पार्वती के विवाह का भी सुन्दर चित्रण किया गया है।  १९८७ में यूनेस्को द्वारा एलीफेंटा गुफ़ाओं को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
यह पाषाण-शिल्पित मंदिर समूह लगभग ६,००० वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला है, जिसमें मुख्य कक्ष, दो पार्श्व कक्ष, प्रांगण व दो गौण मंदिर हैं। इन भव्य गुफाओं में सुंदर उभाराकृतियां, शिल्पाकृतियां हैं व साथ ही हिन्दू भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है। ये गुफाएँ ठोस पाषाण से काट कर बनायी गई हैं। यह गुफाएं नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक केसिल्हारा वंश (८१००१२६०) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं। कई शिल्पाकृतियां मान्यखेत के राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवायीं हुई हैं। (वर्तमान कर्नाटक में)।


( यह है गुफा का प्रवेश द्वार ~`गूगल से )


और वो रही गुफ़ाए--जो काफी टूटी फूटी हालत में थी चलिए देखते है :---


( यह है हमारी पूरी टीम ,पीछे गुफा का द्वार )


( शिव की नटराज नृत्य मुद्रा अंदर का द्रश्य   )


( शिव का अर्ध नारीश्वर रूप )  
( दो द्वारपाल भग्न अवस्था मै ) 


(शिव का नुत्य ) 


( थोडा सुस्ता लूँ ~~~गर्मी बहुत हैं  ) 
( शिव की एक टांग ही नदारथ है ~~~शिव पार्वती की शादी )  


( द्वारपाल )


( शिव का रोध्र रूप--कहते है रावण को अपने पैरो तले कुचला था शिव ने   ) 


( पीछे शिव की शादी का द्रश्य )


( भग्न अवशेष) 


( एक अन्य  गुफा )
(रुकमा,मै ,नन्दू उसका भाई और उसकी पत्नी ) 


( मेरी बचपन की सहेली रुकमनी और मै आज का फोटो )


( रुकमा और मेरा सन १९७६ का फोटो )
" ये दोस्ती हम नही तोड़ेगे "


मस्ती ही मस्ती ~~~~बल्ले -बल्ले ..


और अब वापसी ~~~आ अब लोट चले ....


( बाय -बाय ~~~~~फिर मिलेंगे ) 


( दूर दिखाई दे रहा है मुम्बई का गोंरव )   


( वापसी तट पर )


गेट -वे -आफ -इण्डिया के सामने का बगीचा 'जो काफी छोटा कर दिया है !




अगली कड़ी जुहू बीच  की  जल्दी ही --

23 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

सबसे पहले तो आपका शुक्रिया अदा कर दूं ... जो आपने अपने साथ-साथ हमें भी सैर करा दी सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah jee wah...!! hamne bhi aapke aankho ke dwara alephenta ki gufaon ka darshan kar liya...! ab to pakka raha hamare mumbai trip ki guide aap rahoge..!! ...waise toy train pe aapki photo bhi achchhi hai...:) be happy..aise hi muskurate rahiye.!!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

aur haan aapne jo link diya hai part II open karne ke liye...us se same page hi open hota hai:)

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपके माध्यम से एलिफेंटा केव्स देख कर आनंद आ गया...लगता है इन्हें देखने जाना ही पड़ेगा.

नीरज

Maheshwari kaneri ने कहा…

आपने अपने साथ-साथ हमें भी सैर करा दी सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर चित्रों से सा बढ़िया यात्रा प्रसंग!
हिन्दी की स्पैलिंग की त्रुटियाँ बहुत होती हैं आपकी पोस्ट में।
कृपया इस ओर भी ध्यान दीजिए!

Sunil Kumar ने कहा…

सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

daanish ने कहा…

वाह-वा !
अपने तो खूब सैर करवा दी
elephanta केव्स की विस्तृत जानकारी
भी हासिल हो गयी
आभार स्वीकारें .

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जब हम उधर आयेंगे तो आपकी ये पोस्ट प्रिंट निकाल कर साथ लेकर आयेंगे।

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बढ़िया लगा हमने भी सैर कर ली...हमारी यात्रा पापा की बामारी के समय थी जिसमें यह स्थान छूट गया था चलिए अब सैर हो गई....

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर चित्र ,सुन्दर चित्रण.
बहुत बहुत आभार.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

एलिफेंटा केवज कई बार देख चुके हैं । लेकिन फिर से यादें ताज़ा हो गई ।

Sushil Bakliwal ने कहा…

एलिफेम्टा केव्ज के साथ मुम्बई दर्शन ने पूर्व की कई स्मृतियाँ ताजा करवा दीं । आभार सहित...

Roshi ने कहा…

sampoorn darshan kar liye alifenta caves ke

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर पोस्ट्स को बहुत सुंदर चित्रों से सजा कर मुंबई की सैर करवा रही हैं आप ....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत सुंदर। मुझे अफसोस हो रहा है कि इतनी बार मुम्‍बई जाने के बावजूद एलीफैन्‍टा क्‍यों नहीं जा सका।

---------
विलुप्‍त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?

aarkay ने कहा…

रोचक विवरण और आकर्षक चित्र !
आभार !

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

virendra sharma ने कहा…

इतिहास के झरोंखे से एलिफेंटा केव्ज़ का आपने चित्रात्मक चित्ताकर्षक परिचय करवाया है .बधाई .

G.N.SHAW ने कहा…

very right Bombay is nice. once again congratulation.

डॅा. व्योम ने कहा…

एलीफेंटा कई बार गया हूँ, बहुत अच्छे चित्र लगाकर आपने फिर याद ताज़ा करा दी। बहुत सुन्दर ब्लाग है।

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

सुंदर पोस्ट् बहुत सुंदर चित्र
Bombay is nice.
सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

Unknown ने कहा…

Ham bhi aapse milne aa rahen hain:) (TARKESHWAR.RITA.AVINASH)
From:-Madhya Pradrsh