मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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गुरुवार, 21 मार्च 2024

कसौली यात्रा भाग #2

कसौली Meet पार्ट -2
 
12 जनवरी 2024
~~~~~~~💝~~~~

4 बजे जैसे तैसे सोकर सुबह 6 बजे उठना, वो भी इस ठंडी में, ऐसा ही हैं जैसे मौत के कुएं में छलांग लगाना। 😃 जी हां, अभी -अभी तो आंख लगी थी और चारु ने चिल्लाकर उठा दिया। पर क्या करें ,सुबह 8 बजे सब आजाएंगे ओर हम यही वाले तैयार नही हुए तो धिक्कार हैं हमारा एक दिन पहले आना।
सारे लोग अपने अपने शहर से रात को निकलकर  आज सुबह चंडीगढ़ पहुँच रहे थे और अब हमको चढ़िगढ़ से इक्कठा होकर कसौली पहुँचना था जिधर के लिए हम निकले थे।ओर जहां मीटिंग होनी थी।
तो सुबह फटाफट गरम पानी से कव्वा स्नान करके मैं भी तैयार हो गई। चाय और ब्रेड खाकर बाहर निकल गई। मैं ओर अपर्णा की मम्मी राजस्थान से आये राजेश जी और मदनजी के साथ उनकी कार से कसौली के लिए रवाना हुई । रास्ते मे हमको राजेश जी ने बढ़िया नाश्ता करवाया।

नाश्ता करके हम आगे को निकल गए।मैदानी एरिये को लांधकर अब हमारी कार पहाडो को नापने लगी थी ।जिधर सूरज की तेज किरणें अपना मायाजाल फैला रही थी। फिजा में गर्माहट होने लगी और हमने अपने अपने मौटे -मोटे जैकेट उतारकर हल्के स्वेटर पहन लिए थे। मैदानी एरिये में जहां अभी भी कोहरा छाया हुआ था वही पहाड़ों पर सूरज महाराज ने अपना साम्राज्य फैला रखा था। दूर तक घाटियां कोहरे से ढंकी थी पर चोटियां सूरज की रोशनी से जगमगा रही थी। और मैं इस आलौकिक सौंदर्य का रसपान अपने कैमरे से कर रही थी।
महज 60 km की दूरी 2 घण्टे में समेटकर हमारी कार The Hotal Chabal के लाउंज में खड़ी हुई , तो भव्य नजारा था.. टेरेस हमारे सामने था और  उस पर छोटा सा बगीचा सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। वही कुछ कुर्सियां बिछाई जा रही थी...शायद शाम का जलसा होने की तैयारी चल रही थी।एक कोने में स्टेज बना था और वही दीवार पर घुमक्कड़ी दिल से का बड़ा-सा पोस्टर लगा हुआ था ।पर मेरी नजर उस खूबसूरत झूले पर थी जो दूसरी तरफ मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।मुझे ऐसे झूले में झूलना बहुत पसंद हैं।🥰

तभी हमारा वैलकम करने Gds के सदस्य और इस शानदार होटल के मालिक कंवर कुलदीपजी  खड़े थे। हैंडसम, लंबे -चौड़े, पहाड़ी फिल्मों के नायक की तरह दिखने वाले  कुलदीप जी कही से भी मालिक नही दिख रहे थे। हंसकर बुआ का सम्बोधन जब उन्होंने बोला तो मैं भी पहली बार इस शख्सियत से रूबरू हुईं। ओर बहुत प्रभावित हुई। कुंवर इस छोटे से गांव "चॉबल" के राजा थे और इस सारी जमीन के मालिक थे। सभी उनको नाम से पहचानते थे। भला ,राजा को कौन नही पहचानेगा😄😄

कंवर कुलदीप ने हमसे हमारा आई कार्ड लिया और हमको कमरे की चाबी दी । चाबी लेकर मैं ओर अपर्णा की मम्मी रूम नम्बर 117 में दाखिल हुए। अब मेरा,अर्पणा का ओर उसकी मम्मी का 2 दिन के लिए यही रेनबसेरा था।

मैंने अक्सर देखा हैं पहाड़ो पर घर हो या होटल पहले टेरेस दिखती हैं फिर नीचे कमरे होते है।यानी की ऊपर से नीचे की तरफ जाते है ।यहाँ भी होटल चॉबल में ऊपर टेरेस थी और हम सीढियो से नीचे उतरकर अपने आलीशान कमरे में दाखिल हुए।अंदर कमरे वाकई में सुसज्जित ओर भव्य थे। बालकनी से घाटी का सुंदर दृश्य दिखता था। 

हमने सामान रखा और फ्रेश होकर ऊपर डायनिंग एरिये में आ गए।जिधर सारा Gds बैठा नाश्ता कर रहा था। हम तो नाश्ता कर आये थे इसलिए कुछ नही खा सके। इतने में कुलदीप जी मेरे लिए चाय ले आये और हम बातें करने लगे, तभी मेरे हाथों में पकड़े मोबाइल ने हरकत शुरू कर दी और कैमरे ने  धड़ाधड़ कुछ फोटू खींच डाले। कुलदीपजी के साथ उनकी जीवनसँगनी मधु भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर सबकी खातिरदारी में व्यस्त थी।खूबसूरत पहाड़ी ड्रेस में मधु  मंदाकिनी से कम नजर नही आ रही थी मैंने उसके साथ भी  कुछ फोटू खींचे ओर उनकी पिछली टेरेस पर चली गई जहाँ से घाटी का अमेजिंन ब्यूह  दिखाई दे रहा था। 

मैं अन्य लोगो से मिलने आगे बढ़ गई। सभी परिचित थे चारों ओर से बुआ-भतीजों का सलाम आदान-प्रदान होता रहा। वही सोनाली सबके लिए Gds नाम के बड़े सुंदर बेच बनवाकर लाई थी उसका श्रीगणेश उसने एडमिन को लगाकर किया। फिर सभी के कॉलर पर Gds बेच चमकने लगे। लगे हाथों मेरा भी कैमरा सबके मुस्कुराते चेहरे कैद करता रहा। ओर मेरी गैलरी फुल होती रही।🥰

खाना खाकर हम सबने सामने वाली पहाड़ी पर स्थित भगवान शिव के एक मन्दिर में जाने का प्रोग्राम बनाया। छोटा सा ट्रेक था ।पहले मुझे थोड़ा डर लगा पर चढ़ने के टाइम नितिन का सहारा लेकर ऊपर चढ़ गई और उतरने के टाइम मिसेस सन्दीप साहनी के सहारे नीचे उतर गई सबके प्यार भरे आग्रह ओर सहारे के मैंने ये किला फतेह किया।😃

शाम की छटा निराली थी । टी-टाइम के समय सामने की पहाड़ी सिंदूरी आभा लिए चमक रही थी। थोड़े बादल होने से सूर्यास्त नही दिख रहा था । लेकिन जो दिख रहा था वो गजब का था।जिसके लिए मेरे पास कोई शब्द नही हैं। सिर्फ ये कहूंगी ----"प्रकृति तेरे रूप हजार!!!

रात को सबका परिचय सम्मेलन हुआ।कार्यक्रम की शुरुवात हमने दिए जलाकर की ओर फिर वही कुलदीपजी के परिवार की लड़कियों ने नृत्य कर के सबका दिल जीत लिया।उसी में हमारे Gds के मेम्बर भी थिरक लिए।
यहाँ पहली बार Gds मीट में जो मेम्बर आये उनमें भिलाई के दो युवा जोड़े ने सबका ध्यान आकर्षित किया और वो थे सोनाली ओर सन्दीप। नटखट सोनाली ओर धीर गम्भीर सन्दीप सबके मन को भाये।
नए लोगों में Mp के उज्जैन के नो रत्नों ने भी अपनी आभा बिखेरी। जिसे सोनाली ने शिव के नो गणों की उपाधि दे डाली।🤣🤣🤣

इनके अलावा Gds मीट में आने वाले ओर भी नए मेम्बर थे जो पहली बार आये थे उनमें जयपुर वाले सन्दीप साहनी खुद ओर उनकी लम्बी चौड़ी फॅमिली थी जो हमसब के साथ लोहड़ी का ये पर्व मनाने कसौली आई थी। इनके साथ जयपुर से राजेश शर्मा जी और मदन शर्मा जी भी जयपुर से अपना वाहन लेकर आये थे।जिसमें चढ़िगढ़ से बैठकर मैं भी कसौली आई थी।
पहली बार रेणु चौधरी भी श्रीकृष्ण की नगरी नाथद्वारा राजस्थान से आई थी।
इसके अलावा हरिद्वार के हमारे एडमिन पंकज भी अपनी श्रीमतीजी को पहली बार Gds मीट में लाये थे।

इसके साथ हमारी मोनालिसा भी अपने श्रीमानजी ओर बिटिया के साथ पहली बार Gds मीट में आई थी।
पिछली पन्ना-मीटिंग में अपर्णा आई थी और इस बार वो अपनी मम्मी को लेकर आई । जिनके राम भजन सुनकर हमने तो उसी दिन प्रभु राम की मूर्ति प्रतिष्ठित कर दी,....ख्यालो में🤩
इसी कड़ी में  पिछली पन्ना-मीट में आया आगरा का नितिन भी जिसे हम कुँवारा समझते थे वो छुपारुस्तम भी अपनी श्रीमतीजी ओर एक प्यारी गुड़िया के साथ आया ।
तो ये था इस मीटिंग में  कुछ नए आये मेम्बरों का छोटा सा परिचय।जो मुझे याद हैं।अगर कोई छूट गया हो तो माफी🙏😃

बाकी हम पुराने मेम्बरों में एडमिन संजय कौशिक, अमनदादा, रितेश &रश्मि, पंकज, बबेले सर जी, अल्पा,चारु, मैं, सुनील, श्वेता,
सरोज, वृषभ, पूनम ओर माथुर साहब, डॉ अजय ओर नीलम ओर शरद शर्मा,जी शामिल हुए।
"रात का शमा झूमे चन्द्रमा.....मन मोरा नाचे रे जैसे बिजुरिया..."
उस रात सचमुच चन्द्रमा झूम रहा था और साथ ही Gds का हर शख्श झूम रहा था।कुछ तन से झूम रहे थे तो कुछ मन ही मन झूम रहे थे मेरी तरह😂🤣😂 पर उज्जैन से आये गोपाल जो खुद को गोबिंदा बोलते है । उन्होंने तो महफ़िल ही लूट ली🤗 अगर गोबिंदा उनका डांस देख लेता तो मारे जलन के ख़ाक हो जाता,उसको अपना सिंहासन डोलता नजर आता😂😂😂
बढ़िया प्रोग्राम चल रहा था पर ओपन में जब प्रोग्राम अपने पूरे शबाब पर था उसको बीच मे ही रोककर खत्म करना पड़ा क्योंकि ठंडी बहुत बढ़ गई थी ।मेरे तो हाथ-पैर दोनों सुन्न से हो गए थे😃 बार-बार सोच रही थी कि रूम में जाकर कम्बल ही उठा लाऊँ😜😜😜

फिर सब खाना खाने लपक पड़े ....
खाना खाकर कुछ देर बतियाकर सब अपने अपने कमरों में सोने चले गए। इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि म्यूज़िकल चेयर प्रोग्राम न हो सका ।खेर,अभी कल का भी दिन हैं तो मिलते हैं कल
क्रमशः....






बुधवार, 20 मार्च 2024

यात्रा कसौली की #भाग 1


कसौली Meet पार्ट – 1



10 जनवरी 2024
~~~💝~~~~~


"मेरी आवाज ही पहचान हैं"
ये वाक्य हैं हमारे मेजबान @कंवर कुलदीप जी के जो बड़े ही फ़क्र से कहते है कि– " मेरा नाम ही  मेरा लेडमार्क हैं "☺️ ओर ये सही भी हैं।


तारीख 10 जनवरी को जब मैं बॉम्बे से पश्चिम एक्सप्रेस से चंडीगढ़ को निकली थी तो मन मे ठंडी को लेकर अनेक चिंताये थी...हालांकि मैंने पहनने के कपड़े कम और गरम कपड़े ज्यादा रखे थे ।फिर भी शक था कि इतनी ठंडी को मैं बर्दास्त कर पाऊंगी की नही? कहीं मुझे ठंडी से पैरालिसिस अटैक तो नही पड़ जायेगा? कहीं मैं दुसरो के लिए मुसीबत तो नही बन जाऊंगी ? ऐसा न हो मैं चार कंधों का सहारा लेकर घर पहुँचूँ 🤔
वगैरा!वगैरा !!वगैरा!!!


ऐसे हजारों सवाल पिछले कई दिनों से मेरे ऊपर मक्खियों की तरह मंडरा रहे थे ।जिनका मेरे पास कोई जवाब नही था।


उस पर सन्नी ओर मिस्टर की बार बार काली जबान की–" मत जा! परेशानी होगी, टीवी में देख शीत लहर चल रही है और तू शिमला जा रही हैं। पागल हो गई हैं क्या???☺️


ओर मैं सारी बातें इस कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल रही थी। कई बार सोचती थी की जब सन्दीप को जनवरी के लिए हाँ की थी तब क्यो नहीं ध्यान दिया था,तुरन्त मना कर देना था की इतनी ठंडी में आना मेरे बस की बात नही हैं।शीला जी ने भी तो केंसिल कर दिया हैं। फिर मैं क्यो पहलवान बनू 😢
पर फिर सोचा कि–  "छड्डो यार!जो होगा देखा जाएगा।"😃😃


जब सुबह 9 बजे घर से निकली तो सन्नी ने फिर टोका की मम्मी केंसल करो।पर एक विजय मुस्कान छोड़ते हुए मैं टैक्सी में बैठ गई। अगर Gds मीट न होती तो यकीनन मैं  उसकी बात मान लेती, मगर जब बात Gds की होती हैं तो कोई समझौता हो ही नही सकता। बस चक्क दे फट्टे!😄😄😄


ट्रेन के कम्पार्टमेंट में इस बार बहुत अच्छे साथी मिले, कब टाइम निकल गया पता ही नही चला।फिर चारु तो थी ही साथ ।हमने खूब इंजॉय किया। मथुरा में धने कोहरे के बीच अनु के लाये लजीज बेड़मी,जलेबी ओर कचोरी के मजे लिए पर  चारु पर गुस्सा भी किया कि बेचारे अनु को इतनी सुबह परेशान किया।☺️
11 तारीख को शाम 5 बजे हमारी रेंगती हुई 2 घण्टे लेट लतीफ गाड़ी ने चंडीगढ़ स्टेशन को छुआ तो उमंग से सारे शरीर मे तरंगे फूटने लगी क्योकि हम उस स्थान पर आ गए थे जहां से स्वर्गरोहणी की सीढ़ियां स्पष्ट नजर आ रही थी। मैंने सुना था कि कसौली स्वर्ग से भी सुंदर हैं। और कल हम कसौली की उसी पावन धरा पर पैर रखने वाले थे।


ओर जैसे ही हमने सबको Ta-ta, by-bay बोला और चंडीगढ़ के प्लेटफार्म नम्बर 1 पर अपना पैर रखा की तेज झटका लगा।😳
जी हां😢 आंखों में आंसू आ गए क्योकि अब तक हम जिस गरमा -गरम कूपे में बैठे बतिया रहे थे  उससे उतरते ही ठंड के मायाजाल में ऐसे फंसे की दांत किटकिटाने लगे।


"उई मां! यहाँ तो बहुत ठंडी है 🙉मेरे मुंह से निकला!ओर हम जैसे तैसे लुढ़कते हुए स्टेशन के बाहर टैक्सी तक पहुँचे ।हमारे लिए टैक्सी की व्यवस्था पहले से ही हमारे Gds के एक वीर बालक ने कर रखीं थी और वो वीर बालक अपने हाथों में गर्मागर्म पिज़ा लिए हमारा इंतजार कर रहा था।


हमने आव देखा न ताव ओर फटाफट टैक्सी में घुस गए। अंदर पहुँचकर एक लंबी सांस ली क्योकि अब हम हवा के थपेड़ों से सुरक्षित थे। हालांकि किटकिट की ध्वनि मुंह से लगातार निकल रही थी।


धुन्ध में लिपटा हुआ चंडीगढ़ साढ़े 5 बजे ही मुझे रात 11 बजे का अहसास करवा रहा था और मैं मुम्बई की पौरि ये हजम नही कर पा रही थी कि भला साढ़े 5 बजे शाम को ही रात कैसे हो सकती हैं। क्योकि हमारे यहाँ तो अभी तक सूरज चमक रहा होगा। बाजार जगमगा रहे होंगे, खाली लोकल दूर से मुसाफिरों को टोह कर ला रही होगी। फिर,दिल को तसल्ली दी ये बॉम्बे नही है मेरी जान🥰😄
अब हमारी टैक्सी तेजी से धुंध को काटती हुई आगे सरक रही थी।


नियत स्थान पर टैक्सी रुकी ओर मैंने पर्स में हाथ डाला ही था कि बाहर से एक आवाज़ आई---" नही बुआ,पैसे मैं दूँगा!"
मैंने चौककर बाहर देखा-- "अरे ये वीर बालक तो अपना विमल हैं" जो पिज़ा के 3 पैकेट हाथ मे लिए मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।
चढ़िगढ़ में हमारे रहने की सारी जुम्मेदारी प्यारे विमल ने अपने भारी भरकम कंधों पर ले रख्खी थी।वो एक अबोध बालक की तरह सबकुछ करने को आतुर था। हर काम को ऐसा कर रहा था जैसे एक बाप अपनी लाडली बेटी की शादी में लड़के वालों पर निछावर हो जाता हैं।


ये बात इसलिए लिख रही हूं कि उसकी स्फूर्ति देखने लायक थी जब वो मेरी भारीभरकम अटैची को पहले माले तक लाया । कैसे लाया होगा ? आज मैं ये सोच रही हूं🤔


अब हम दोनों टैक्सी से उतरकर उसके घर की तरफ जा रहे थे।हालांकि कंपकपी थी पर सबसे मिलने का उत्साह उस कंपकंपी के ऊपर ज्यादा भारी था।चारों ओर सन्नाटा पसरा पड़ा था।
थोड़ी देर बाद ही हम विमल के गर्म कमरे में हीटर के पास हाथ सकते हुए चाय की चुस्कियों के साथ गर्म -गर्म पिज़ा खा रहे थे।
Gds मीट की यही खासियत हैं कि यहाँ सब मिलकर आनंद के सागर में डुबकियां लगाते हैं और परम आनंद की प्राप्ति करते हैं।✋आज का ज्ञान खत्म☺️


रात को चारु  ने खिचड़ी ओर कढ़ी बनाई और हम सबने मिलकर खाई।इतने मैं भिलाई के 1 मतवाले कपल सोनाली ओर सन्दीप भी आ गए  उनसे प्रथम मिलन था पर प्रथम जैसा कुछ था ही नही सब ऐसी बातें  कर रहे थे जैसे काफी पुराने परिचित हो।😄


गोल मटोल ,हिरनी की तरह चंचल आंखों वाली सोनाली ओर उनके मस्तमौला पति सन्दीप जी दोनों ऐसे घुलमिल गए जैसे बरसो से याराना हो🥰 हम सब छोटे से कमरे में रजाइयों में घुसे हुए आपस मे बतिया रहे थे कि अचानक दादा ने कमरे में प्रवेश किया।दादा यानी कि बोकारो से पधारे हमारे भकिल अमन दादा जिनसे मैं 2017 के  रांशी मीट के बाद अब मिल रही थी।
दादा ने सबसे पहले झुककर मेरा अभिवादन किया तो दिल गदगद हो गया।☺️


रात ढाई बजे तक ये सिलसिला जारी रहा। बातें खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी और फिर रात 3 बजे के बाद हमारी आबकारी मैडम अर्पणा अपनी माताजी के साथ आई तो हम सब कुछ अलसाये हुए मदहोशी के आलम में थके हुए उसका वेलकम कर उसे भी सुलाकर फिर सो गए।☺️


कल एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए.....
क्रमशः












सोनाली,चारु,अमन दादा ,मैं ओर  विमल

मंगलवार, 19 मार्च 2024

कश्मीर फाईल #भाग 10

कश्मीर फाईल्स # भाग 10


लोकल श्रीनगर # 2
7 सेप्टेंबर 2023
आज हम लोकल श्रीनगर घूमने निकले हैं। पहले गुरु शंकराचार्य मन्दिर गए फिर मुगल गार्डन ओर फिर निशान्त बाग़ । ड्रायवर हमको परी महल और चश्मे शाही गार्डन भी ले जा रहा था पर हम काफी थक गए थे दूसरा हमने अभी तक शिकारा राईड्स नही की थी ।तो हम सब छोड़कर सीधे हाऊसबोट को निकल गए।हमारे ड्रायवर  ने हमको एक शिकारे में बैठा दिया जो हमको लेकर एक खटारे से हाऊसबोट में ले आया।मुझे ये हाऊसबोट बेहद गन्दा लगा पर शायद ऐसे ही होते होंगे हाऊसबोट! ये सोचकर गम पी लिया ओर फ्रेश होकर चाय पी ओर शिकारा राईट्स के लिए निकल गए। थोड़ी धूप फैली थी तो काफी अच्छा लग रहा था। 
कश्मीर का सबसे आकर्षण बस ये शिकारा में घूमना ही हैं।सचमुच बहुत ही बढ़िया एक्सपीरियनस रहा। हालांकि डल एरिया पिछले भाग में बहुत गन्दा था, काई भी जमा थी और थोड़ी थोड़ी बदबू भी आ रही थी फिर भी घूमने में मजा आ रहा था। 

जैसे जैसे दिन छुप रहा था और रात हो रही थी वैसे-वैसे हाउसबोटों की लाईट्स जगमगा रही थी और वो  सब एक स्वपन सा लग रहा था। मुझे ये ज्यादा आकर्षण का केंद्र लगा।और अब पछतावा हो रहा हैं कि मैंने पहले ही दिन शिकारा राईट्स क्यो नही की।

1 घण्टे की शिकारा राईट्स पलक झपकाते ही खत्म हो गई और शिकारे ने हमको हमारे सड़े से हाऊसबोट पर उतार दिया।पर ये क्या!!हमारा हाऊसबोट भी दुल्हन की तरह सजा हुआ था ।और बहुत प्यारा लग रहा था।मैंने हाऊसबोट पर बहुत सी तस्वीरे खिंचवाई ओर कपड़े चेज कर के हम हाल में आ गए जिधर डायनिग टेबल पर हमारा खाना लगा था। पूरे  हाऊसबोट पर 4 कमरे थे विथ बाथरूम के ओर चारो भरे हुए थे।यहाँ ये बढ़िया बात थी कि फोन आ रहे थे और नेट व वाय फ़ाय भी चल रहा था।

हमने मटर पनीर की सब्जी ,रोटी ,दाल और चावल खाये।खाना बहुत टेस्टी था। यहाँ हमने पानी की एक बॉटल खरीदी जो 70 रु की आई। बाकी तो सबकुछ फ्री था।अगर आप ठहरने हाऊसबोट में जाये तो पहले से पानी की बोतल खरीद ले वरना 20 रु कि बॉटल आपको 70 रु में मिलेगी।

खाना खाकर हम अपने पलँग पर सोने चले गए।यहाँ काफी ठंड़क थी। हाऊसबोट काफी पुराना था नीचे कालीन बिछे थे वो भी पुराने थे ।मैंने टूर वाले को कम्पलेण्ड की पर मुझे पता है कुछ नही होगा।

रात को ठंडी बढ़ गई तो हमने मजबूरी में गन्दे कम्बल ओढ़ लिए ओर गहरी नींद में सो गए।कल हमको पहलगाम जाना है।

दूसरे दिन उठे तो बहुत फ्रेश थे ।नहाने का मन ही नही हो रहा था पर क्या करे नहाना भी मजबूरी था तो जैसे तैसे गर्म पानी से ड्राईक्लीन करके हम डायनिंगरूम में आ गए।फटाफट पोहे ओर ब्रेड का नाश्ता किया और सामान लेकर फटाफट रफूचक्कर हुए।वापस शिकारा में बैठकर किनारे पर आए जिधर हमारा ड्रायवर खड़ा था। हाऊसबोट को अलविदा कर हम अपनी गाड़ी में बैठकर  हजरतबल मस्जिद की ओर चल पड़े।

मस्जिद के पास बहुत सी नॉनवेज दुकानों पर कुछ पक रहा था जिससे माहौल में अजीब सी बदबू फैली थी। हम मस्जिद के सामने उतर गए मिस्टर का मन बिल्कुल नही था पर मेरे कारण वो भी उतर गए और हम अंदर गए। अंदर नमाज़ वाले एरिये में हमको जाने से रोक दिया और  नजदीक के दूसरे रास्ते पर जाने को बोला जिधर बड़ा सा गार्डन था।मैं उधर चल दी।मिस्टर भी बड़बड़ाते हुए मेरे पीछे चल दिये मानो वहाँ खड़े रहे तो कोई उनको गोली मार देगा😃😃

आम सा गार्डन था हम देखकर वापस अपनी कार तक आ गए और आगे का सफर हमारा शुरू हो गया।

मिलते हैं पहलगाम में...

 



कश्मीर फाईल#भाग 9

कश्मीर फाईल्स#9

                 
लोकल श्रीनगर #1
7 सेप्टेंबर 2023

आज हमको कश्मीर आये 5 दिन हो गए है।आज इस होटल से हमारा चेक आउट है।4 दिन का टोटल 14 हजार 500 रु देकर हमने इस होटल से बिदा ली।बिदा से पहले मस्त नाश्ता किया और सारा सामान गाड़ी में रखवाकर हम सबसे पहले लाल चौक गए। यहाँ हमारे देश का गौरव हमारा तिरंगा लहरा रहा था । इसका मतलब यह था कि अब हमारा कश्मीर आतंकियों से मुक्त हो गया हैं। अपने तिरंगे को सेल्यूट कर कुछ फोटू खिंचवाकर हम लोग गुरु शंकराचार्य मन्दिर की तरफ चल दिये ।ये मन्दिर एक पहाड़ी पर स्थित हैं।कार से हम थोड़ी दूर उतर गए और आगे पैदल चल पड़े।आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हैं तो भंडारा चल रहा था।साबूदाने की खीर ,आलू के लच्छे तल रहे थे और आने वाले भक्तजन हाथ साफ कर रहे थे।हमने भी लौटने के टाइम भंडारा चखने का फैसला किया और आगे बढ़ गए।

गुरु शंकराचार्य मन्दिर:-- कश्मीर के श्रीनगर में गोपदरी पर्वत पर स्थित एक  शिव मन्दिर हैं। करीब 8वी शताब्दी में जबसे गुरु शंकराचार्य जी इस मंदिर में आये तब से इनके नाम पर यह मंदिर प्रसिध्द हो गया।यह मंदिर समुद्रतल से 300 मीटर की ऊँचाई पर हैं जो करीब 1हजार फीट हैं।।ये केवल पत्थरो से निर्मित है।
करीब 244 सीढ़ियां चढ़कर जब हम मंदिर के सामने पहुंचते हैं तो इतनी ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से इस मंदिर से श्रीनगर शहर और पूरे डल झील का भव्य नजारा दिखाई देता है। मंदिर का गर्भगृह गोलाकार है। मुख्य द्वार से आगे की ओर  सामने बाग स्थित हैं ।आगे गर्भगृह तक पहुँचने के लिए ओर 30 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं।

इससे थोड़ी दूर ही एक कुंड है, जिसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है। हालांकि अब यह कुंड सुख चुका है। मंदिर की सीढ़ियों पर फारसी भाषा में लिखे दो अभिलेख हैं, जिनके अनुसार इस मंदिर की स्थापना 1659 ईसवी में की गयी थी। दूसरे अभिलेख के अनुसार 1644 ईसवी में शाहजहां ने मंदिर की छत और स्तंभ बनवाया था।

खेर जो भी हो ,हम आराम से सीढियां चढ़ते हुए टॉप पर आ गए।सीढियां काले पत्थर की बनी हैं और साईड में इतनी जगह हैं कि आराम से बैठ सकते है इसलिए आराम-आराम से हमने चढाई पूरी की ।प्रवेश द्वार से अंदर आये तो डल लेक का नजारा अद्भुत था।करीने से सजी छोटी-छोटी खूबसूरत नावे नजर आ रही थी।अगर शाम को आते तो हमको जो दृश्य दिखता उसका कोई मुकाबला नही होता । अभी तो अच्छी खासी धूप थी और धूप के कारण फोटू अच्छे नही आ रहे थे।

हम साईड के छोटे से पार्क को देखते हुए आगे बढ़ गए ।आगे बैठने की अच्छी व्यवस्था थी ।थोड़ा आराम कर के हमको ओर 30 सीढियां चढ़नी थी।

मन्दिर के गर्भगृह में बड़ा -सा शंकर जी का पिंड मौजूद था सभी जल चढ़ा रहे थे।हमने भी पूजा अर्चना कर के नीचे के नजारे अपने मोबाइल में कैद किये और वापसी की राह पकड़ी।
चढ़ने से ज्यादा उतरना खतरनाक हैं☺️ जैसे तैसे उतरकर हम भंडारे के नजदीक आये।अभी भी फिजाओ में खाने की खुशबू फैली हुई थी। अभी तक भंडारा चल रहा था।आलू की सूखी सब्जी,खीर ओर आलू के चिप्स लेकर हम सामने के पंडाल में बैठ गए। मिस्टर तो 2 बार खीर ले आये😊 खाना खाकर हम अपनी गाड़ी में बैठकर मुगल गार्डन की तरफ जा रहे थे जो डल झील के सामने  ही था पर मन्दिर के अपोजिट साईड में डल झील का विस्तार काफी लंबा हैं।

25 रु का टिकिट कटवाकर हम बागीचे के अंदर आ गए। बाहर से काफी खूबसूरत मुगल गार्डन अंदर से काफी टूटा फूटा था मरम्मत चल रही थी । मैंने ये गार्डन सन 70 की फिल्मों में बहुत देखा हैं तब इसकी आन ओर बान देखते ही बनती थी। पर अब फूलों के अलावा कुछ खास नजर नही आया।

यहाँ से आगे हम एक ओर गार्डन "निशान्त बाग़" में गए ।इसकी हालत पहले से बहुत ही अच्छी थी।यहाँ कुछ देर बैठे पर इन गार्डन में बैठने की कोई व्यवस्था नही हैं। कश्मीर सरकार को अब डेवलेपमेंट की तरफ भी ध्यान देना जरूरी हैं।यहाँ भी टिकिट वही 25 रु का था। अब तक हम काफी थक गए थे तो आगे के ओर गार्डन न देखकर डायरेक्ट डल झील चल पड़े क्योकि आज का सटे हमारा हाऊसबोट का था।

हाऊसबोट के बारे में आगे पढ़िए । क्योकि बहुत लम्बी पोस्ट हो गई हैं.... तो मिलते हैं हाऊसबोट में:--
क्रमशः...

                 हमारा होटल


 



शनिवार, 16 मार्च 2024

कश्मीर फाइल्# भाग 8

कश्मीर फाईल #भाग 7


#सोनमर्ग (श्रीनगर)
6 सेप्टेंबर 2023

कल हम गुलमर्ग घूमकर आये ।रात हमने आराम से निकाली अब सुबह हम सोनमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम सोनमर्ग को निकल गए।
सोनमर्ग, गुलमर्ग से भी बहुत खूबसूरत हैं। ऐसा अजित बोल रहा था ।उसकी ये बात मुझको भी सही लगने लगी जब यहाँ बहने वाली नदी हमारे साथ ही इठलाती हुई चल रही थी तो  ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हमसे होड़ कर रही हो कि मैं तुमसे पहले पहुँचूँगी।☺️
पहली बार सड़क के साथ-साथ बहती नदी देखी थी जो तेग वेग के साथ बह रही थी और हम उस नदी के विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहे थे।एक जगह  पुलिस ने हमारी कार रोकी तो मैं खुद को न रोक सकी और फ़टाफ़ट नदी की तरफ दौड़ पड़ी यहाँ मैंने ढेर सारे वीडियो बनाये।मौसम बहुत रंगीन था और फिजा में ठंडक थी ।मैंने एक स्वेटर ओर टोपी पहन रखी थी।मन ऐसा हो रहा था कि यहाँ घण्टो बैठा जाय और इस नदी की लहरोँ से वार्तालाप किया जाय।पर अजित बार बार हॉर्न मार रहा था आखिर मन मसोसकर मैं कार में आ गई।
सोनमर्ग पहुँचकर वहाँ अजित ने कार स्टैंड पर लगा दी,अब आगे का सफर हमको घोड़े पर या गाड़ी पर करना होगा।


घोड़े वाले से बात की तो वो 3 हजार में थजी ग्लेशियर ले जा रहा था रास्ते के 1-2 पॉइंट ओर बोल रहा था पर हमने घोड़ो पर जाना बिल्कुल मना कर दिया।


तो एक कार वाला आ गया जो जोजिला पास दिखाने का 10 हजार मांग रहा था।मैंने 3 हजार बोला तो चला गया फिर 8 हजार बोलकर वापस आया ।मगर मैंने 5 हजार लास्ट बोला तो थोड़ा ना-नुकुर करके तैयार हो गया।
अब हम मोहम्मद के साथ एक बढ़िया कार में सवार हो आगे बढ़ गए। मोहम्मद एक बढ़िया आदमी और ड्रायवर था।उसने हमको रास्ते में गाड़ी रोक रोक कर हर जगह दिखाई और उसके बारे में बताया।


अमरनाथ यात्रा किधर से शुरू होती हैं । वो सब जगह दिखाई जिसे बालटाल कहते है। मैंने भी काफी वीडियो बनाये।अमरनाथ यात्रा अब तो कर नही पाऊंगी कम से कम बालटाल देखकर ही दिल खुश कर लूं।


फिर आया जोजिला के काले-काले पहाड़ ओर गहरी खाइयाँ।दूर पहाड़ों पर बर्फ चमक रही थी।सर्दियों में ये रास्ता बंद हो जाता हैं। यही से लद्दाख जाया जाता हैं।


हम जोजिला के रास्ते पर एक जगह रुके जिधर एक बड़ा सी बर्फ की चट्टान पड़ी हुई थी उसमें से पानी बह रहा था।काफी लोग उतरकर यहाँ फोटुग्राफी कर रहे थे।
फिर हम आगे गए वहाँ एक ग्लेशियर था जिस पर कुछ लोग खेल रहे थे।मैं भी उतरकर ग्लेशियर के पास गई पर काफी ठंडी हवाएं चल रही थी। इतने में अचानक धूप गायब हो गई और बारिश की मोटी मोटी बूंदे गिरने लगी।  मैं दौड़कर कार में आ गई वरना भीग जाती।थोड़ी देर में ये गुलजार ग्लेशियर अचानक सन्नाटे में तब्दील हो गया। सब अपनी अपनी कारो में समा गए और आगे बढ़ गए।हम भी बारिश में ही आगे बढ़ गए।


आगे हमको लद्दाख जाने का गेट नजर आया।यही वार मेमोरियल हैं।यहाँ एक छोटा सा रेस्टोरेंट भी था।
अचानक पानी बन्द हो गया और बर्फ गिरने लगी।मैं तो बर्फ देखकर खुशी से झूम उठी ।मैंने कार का दरवाजा खोला और बाहर छलांग लगा दी।बाहर बर्फ गिर रही थी जो मेरे काले स्वेटर पर रुई की तरह चमक रही थी।.मैं झूम-झूम कर नाचने लगी☺️


गीले होने के डर से मिस्टर चिल्लाने लगे और मैं रेस्टोरेंट के अंदर आ गई।इस बारिश से वहाँ का पारा एकदम लुढ़क गया और ठंडी तेज हो गई। मेरा सारा जिस्म ठंडी से कांपने लगा। तब मैंने गर्मागर्म चाय पी ओर एक समोसा खाया। हालत में सुधार आया।
कुछ देर बाद हम लॉट रहे थे।रास्ते पर हल्की हल्की बर्फ गिरी हुई थी ।मौसम में ठंडक थी और धूप वापस निकल आई थी।


आज का सफर पैसे वसूल रहा। रास्ते मे हमने सेव के बागों से सेव् खरीदे 300 रु में 7 किलो।
श्रीनगर पहुँचकर हमको एक गुरद्वारा नजर आया।तो लगे हाथों हम गुरद्वारे में भी चले गए।
शेष अगले भाग में....














शुक्रवार, 15 मार्च 2024

कश्मीर फाइल# भाग6

कश्मीर फाईल#6




गुलमर्ग
भाग#2
5 सेप्टेंबर 2023

आज हम गुलमर्ग की सैर करने निकले है। पिछले भाग में हम नीचे से गंडोले में बैठकर ऊपर आ गए थे। अब आगे का आंखों देखा किस्सा जारी:-----
3 हजार 50 मीटर्स ऊपर पहुँच कर हमने एक खुला मैदान देखा। इसको कोंगडोरी कहते हैं। इधर कुछ सेल्फी पॉइंट बना रखे थे।यहाँ भी पोनी वाले घूम रहे थे आगे के पॉइंट दिखाने के लिए पर हमने मना कर दिया ।हमको यही पर अच्छा लग रहा था। इन खूबसूरत वादियों को निहारना ओर ठंडी फिजाओं को सूंघना ही मेरा मकसद था।यहाँ मैं घण्टों बैठ सकती हूं।यहाँ थोड़ी ठंडी भी थी तो धूप में बैठना अच्छा लग रहा था। हम धूप में फोटू खिंचते हुए इधर-उधर घूम रहे थे ।बड़ा ही प्यारा मौसम था। यहाँ कुछ होटल बने हुए थे।काफी लोग घोड़े पर बैठकर न जाने किधर निकल गए कुछ देर दिखते रहे फिर गुम हो गए। इससे आगे फेज़ 2 का गंडोला हैं जो 14 हजार फीट ऊपर हैं अगर वहाँ जाती तो यकीनन बर्फ मिलती पर वो आजकल बन्द हैं उसका मेंटनेस चल रहा है।
यहाँ बैठकर मुझे फ़िल्म का गाना बार बार याद आ रहा था--" कितनी खूबसूरत ये तस्वीर हैं.. ये कश्मीर हैं ...ये कश्मीर हैं।"
हमने यहां बहुत फोटू खिंचे , चलते हुए गंडोले के नीचे खड़े होकर हमने खूब वीडियो बनाई। आते-जाते गंडोले बहुत अच्छे लग रहे थे। काफी देर बाद जब मन भर गया तो लौटने में ही भलाई समझी । उधर घोड़े वाले का भी बार बार फोन आ रहा था तो हम वापस गंडोले में बैठ गए।
गंडोले से वापसी में मुझे बॉम्बे का एक ग्रुप मिला जिसमें सभी युवा थे।उनमें से एक लड़के ने मुझसे पूछा कि आंटी जी, "गंडोले वाली जगह कितनी दूर है? हम पैदल जा सकते हैं।"
मैंने बोला--"जरा भी दूर नही हैं आराम से जा सकते हो।"
उनके पास खड़ा घोड़े वाला मुझे घूर रहा था । उसके बन्धे बकरे जो मैंने खोल दिये थे ☺️ओर मुझे जोर से हंसी आ गई,मानो मैंने सारे घोड़े वालो से अपना बदला ले लिया हो।😂🤣😂

घोड़े से वापस आ रहे थे तो हमने एक पहाड़ी पर एक सुंदर मन्दिर देखा।तब याद आया कि ये तो वही मन्दिर हैं जिस पर फ़िल्म "आपकी कसम" में राजेश खन्ना और मुमताज पर एक फ़ेमस गीत फिल्माया था।भांग पीकर दोनों मस्त डांस कर रहे थे । ऐसा लगा,मानो कल की ही बात हो---" जय जय शिव शंकर ...कांटा लगे न कंकर... के प्याला तेरे नाम का पिया😂🤣😂
ओर हम भी झूमते हुए घोड़े पर ही मन्दिर की तरफ चल दिये।मन्दिर एक टेकरी पर बना हुआ था ।वहाँ तक जाने के लिए सीढियां बनी हुई थी जिससे हम जैसे लोग आराम से चढ़कर ऊपर जा सकते हैं।
शिव मंदिर:---
यह मंदिर 1915 में महराजा हरी सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने बनवाया था। इस मंदिर की देखरेख एक मुस्लिम परिवार करता है।106 साल पुराने इस शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कश्मीर में तैनात मिलिट्री के जवानों ने किया है।करीब तीन महीनों में सेना ने इस मंदिर की मरम्मत करके इसे फिर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया था। इस मंदिर में चर्च,गुरद्वारा ओर मस्जिद भी हैं।
सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर हमें शानदार सीनरी के दर्शन हुए। नीचे खड़े घोड़े ओर गाड़ियां नन्हे नन्हे खिलोने जैसे प्रतीत हो रहे थे। चारो ओर खूबसूरत मखमली हरियाली बिछी थी मानो किसी ने हरी चादर बिछा दी हो।प्रकृति का ये रूप कितना दिलकश था।
ऊपर शंकर जी का मंदिर था। रंगरोगन नये जैसा ही लग रहा था।कुछ देर बैठकर हम नीचे उतर गए ।वही गाड़ी मंगवा ली और उसमें बैठकर हम श्रीनगर को चल दिये।
कल हम सोनमर्ग चलेगे ।तो मिलते हैं कल...